होता है ये पल भर को
मिलती है वो मुझको यूँ
होता है ये पल भर को
मिलती है वो मुझको यूँ
मद्धम सी थोड़ी शाम में
मद्धम सी थोड़ी शाम में
सौंधी सी मुलाक़ात में
थोड़े सच में थोड़े ख्वाब में
होता है ये पल भर को
मिलती है वो मुझको यूँ
मेरे मामूली से निकले दिन में
मेरी थकी थकी आँखों से
मेरे रुकते रुकाते अरमानो से
होता है ये पल भर को
मिलती है वो मुझको यूँ
पल रुक सा जाता है
धड़कन बढ़ सी जाती है
दिन की रौशनी भी हो जाती है ज़्यादा
मौसम थोड़ा सा बदलता है
ख़ामोशी भी चली सी जाती है ऐसे
मौसम थोड़ा सा बदलता है
ख़ामोशी भी चली सी जाती है ऐसे
उसकी कोई महफ़िल सी ही सजी हो जैसे
पर ये सब होता है बस पल भर को
मिलती है वो मुझको यूँ
ख्वाहिशें होती हैं हज़ारों सी
रोशन होती हैं फ़िज़ाएं सी
उसकी राहें भी लगती हैं मुझे कुछ रूहानी सी
थोड़ी आँखें उसकी गहरी सी
थोड़ी आँखें उसकी भूरी सी
उसके चेहरे के साथ हस्ती भी है बोलती भी
पर ये सब होता है बस पल भर को ही
मिलती है वो मुझको यूँ
मुकामो में भी दिखती सी है अक्सर वो
होश में भी ख्वाब में भी
अक्सर यूँ आजाती है वो
मुकामो में भी दिखती सी है अक्सर वो
होश में भी ख्वाब में भी
अक्सर यूँ आजाती है वो
उलझन सी है थोड़ी सुलझन सी भी बन जाती है वो
जाने के नाम पे रुक जाता हूँ मैं
उसके पीछे ही चलने के बहाने बनाता हूँ मैं
जाते जाते भी साथ रह जाती है वो मेरे कुछ यूँ
होता है ये पल भर को
मिलती है वो मुझको यूँ
लिखने में खो सकता हूँ मैं और
उसके लिए मैं बहोत कुछ बोल सकता हूँ और
पर कुछ बिना लिखे बिना कुछ पढ़े,
बिना कुछ कहे बिना कुछ सुने
पर कुछ बिना लिखे बिना कुछ पढ़े,
बिना कुछ कहे बिना कुछ सुने
कुछ चाहतो को समझने में
होता है नशा ही यूँ
होता है ये पल भर में सब
मिलती है वो मुझको यूँ
होता है ये पल भर को
मिलती है वो मुझको यूँ